दोस्तो कुछ दिन पहले मेरी नजर किसी दैनिक समाचार पत्र पर पढी, समाचार पढने के लिए मेरी थोडी इच्छा जाग्रत हुई, मैं समाचार पत्र पढने लग गया. समाचार संबंधित था एक कुत्ते के बारे मे,जो अपने मालिक को आज लाखों की महीने की आमदनी दे रहा है, दोस्तो ये और कोई कुत्ता नही है, वही है जिसको आप लोग हमेशा विभिन टी वी चैनल्स में विज्ञापन करते हुए देखते आ रहे है, हाँ दोस्तो वही वोडाफोन वाला कुत्ता. समाचार मे मैं आगे क्या पढता हूँ कि किसी एक पशु प्रेमी स्वयम संस्था ने वोडाफोन कंपनी वालों के इस विज्ञापन पर अदालत मे मुकदमा दायर कर दिया है. स्वयं सेवी संस्था ने कंपनी पर कुत्ते को उत्प्रीरण करने का आरोप लगाया है. स्वयं सेवी संस्था कहती है कि जब उन्होंने इस विज्ञापन का फिल्माकन किया होगा उस समय कुत्ते को बहुत तकलीफ हुई होगी. दोस्तो मैं उसी स्वयं सेवी संस्था से पूछना चाहता हूँ तब उनका पशु प्रेम कहा गया जब हजारों कुत्ते आए दिन गली मोहलों मे एक टुकड़े रोटी के लिए भटकते रहते है, एक टुकड़े रोटी के लिए अपने आप में लड़ते रहते है, कोई किसी बीमारी से संक्रमित है तो कोई किसी बीमारी से. किसी पर मखियाँ भिन भिना रही है तो कोई किसी गंदे नाले मे अपनी प्यास बुझा रहा है. तब उनका पशु प्रेम कहा गया? तब उनको उनकी पीड़ा नही महसूस हो रही है. ऐसे ही हजारों पालतू पशु हमारी गली गलियों में घुमते हुए नजर आते रहते है. क्या उन्होंने कभी उनके लिए आवाज उठाई?
अरे आज वो उस कुत्ते की बात कर रहे है जो अपने मालिक के घर मे चारपाई और रजाई के अन्दर सोता है, जो खुशबू दार साबुन से नहाता है, जो वो भोजन करता है जो हम जैसे सामान्य परिवार के लोग नही कर पाते है, उसके लिए करुना भाव का पैदा होना, थोड़ा सा आश्चर्यजनक लगता है.
दोस्तो हो सकता है मैं अपने आप में ग़लत हूँ, मेरे सोचने का तरीका ग़लत हो, लेकिन में उन पशु प्रेमी संस्थाओं से कहना चाहता हूँ कि अगर सच्चे अर्थों में तुमको हमारे पालतू पशुओं की चिंता है तो सबसे पहले उनकी सहायता करो, उनकी सहायता के लिए आगे आओ, जिनको उनकी जरूरत है.
Tuesday, May 20, 2008
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